बुधवार, 24 अप्रैल 2013

कहना है तुमसे आज


कहना है तुझसे  आज जो कभी ना कह पाया
देनी है ख़ुशी तुझे आज  जो कभी मुमकिन हो ना पाया
सुलझानी है वो कड़ी जो हमेशा उलझती चली गयी
            था मैं बेहोश लाना है खुद को होश में अब
थी मंजिल पास ना जुटा पाया हिम्मत पार पाने की
जाना उस नदिया के पार जिसे आज तक देखता ही रहा 
तोड़ लाने हैं वो तारे जिसको तुने सिर्फ खाबों में ही ही अपना बनाया



              उस लौ को करना है तेज जो थी कभी 
 उस को कर देंगे ख़त्म जिसने किया है जीना तेरा दुस्वार 
क्यों रोता है घंटो बैठ तू तन्हाई में 
देख सजाई है तेरे लिए ये महफ़िल बेशुमार 
             न खुद को महसूस कर अकेला साथ हैं हम ऐ मेरे हमदम 
जो भी हैं तुम्हारी मुश्किलें उसको कर देंगे ख़तम 
मुस्कुराना होगा तुझे हर हाल में
खुशियाँ हो या ग़म 
उन्हें भी अब देना होगा हिसाब जिसने ढाये हैं ये जुल्मों सितम 
     होगी अब तेरी हर एक मूराद पूरी 
खुश्क चेहरा होगा अब रोशन 
ऐ परी देख तेरे सुनहरे पर लाया मैं  अपने साथ 
    उड़ जा नील गगन में पंख फैलाए तू आज





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