सोमवार, 20 मई 2013

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हु तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है

के मोहब्बत एक एहसासों की पवन सी कहानी है,
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सब लोग कहते हैं मेरी आँखों में आंसू है
जो तू समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी है,

समंदर पीर का अन्दर लेकिन रो नहीं सकता
ये आंसू  प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई खाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे किस्सा मोहब्बत का
मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा

श्त्रोत - कुमार विश्वास

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