रविवार, 4 जनवरी 2015

कभी उनसे ये कह पाएँ

 जो हाले दिल है यारो अपना ,
जो गीत गाता है ये सलोना,
जो आँहे भरता है उनको याद कर के,
काश उनको बतला पाएँ


                                                                         वो हैं यू बेख़बर ,
                                                                         ए काश जुज़तज़ू बयान कर पाएँ,
                                                                         समंदर की गहराई से भी गहरा है ये प्यार,
                                                                          काश उनको ये बता पाएँ,



 यू तो बेरूख़ी की जिंदगी जीते आए हैं,
 पर ये बेरूख़ी भी दगेबाज़ निकली,
ये अफ़साना उनको बयान कर पाएँ,
वो परियो की सहज़ादी हैं,
 मैं तन्हा ग़रीब ,
पर हर खुशी देने का है उनको वादा,
काश ये वादा पूरा कर पाएँ,

                             यू तो हूमें उनके ना होने का ग़म नही,
                                  पर उनके होने से बात कुछ और होती,
                                        यू तो हूँ मैं कवि पिरोता हू जिंदगी के मोती,
                                                  इस खूबसूरत माले मे उस मोती को पीरो पाएँ,
                              ए ख़ुदा अब तेरी इबादत का भरोसा हैं,

काश तेरी रहमत से अपनी दुनिया सज़ा कभी उनसे ये कह पाए,
कभी उनसे ये कह पाएँ.

शनिवार, 27 दिसंबर 2014

जिंदगी - एक पहेली

जिंदगी है ये पहेली
जितना सुलझाना चाहूँ मैं उतनी ही उलझती जाए
            कभी खुशी होती इसकी मेहमान
कभी गम करते इसका इंतेजार
कभी तन्हाई को राही बना चल पड़े अकेला
                                         कभी ढूँढे ये हमसफ़र



                               उड़ चल कही मनमौजी पंछी की तरह
                                                बह चल किसी नदी की तेज धार में
                                                                हर दिन की परेशानिओ से दूर
चल चले एक ऐसा आसियान बनाए जहाँ
                      आख़िर ये है कैसी पहेली
                इसको सुलझा तो पाए

सोमवार, 20 मई 2013

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हु तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है

के मोहब्बत एक एहसासों की पवन सी कहानी है,
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सब लोग कहते हैं मेरी आँखों में आंसू है
जो तू समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी है,

समंदर पीर का अन्दर लेकिन रो नहीं सकता
ये आंसू  प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई खाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे किस्सा मोहब्बत का
मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा

श्त्रोत - कुमार विश्वास

बुधवार, 24 अप्रैल 2013

कहना है तुमसे आज


कहना है तुझसे  आज जो कभी ना कह पाया
देनी है ख़ुशी तुझे आज  जो कभी मुमकिन हो ना पाया
सुलझानी है वो कड़ी जो हमेशा उलझती चली गयी
            था मैं बेहोश लाना है खुद को होश में अब
थी मंजिल पास ना जुटा पाया हिम्मत पार पाने की
जाना उस नदिया के पार जिसे आज तक देखता ही रहा 
तोड़ लाने हैं वो तारे जिसको तुने सिर्फ खाबों में ही ही अपना बनाया



              उस लौ को करना है तेज जो थी कभी 
 उस को कर देंगे ख़त्म जिसने किया है जीना तेरा दुस्वार 
क्यों रोता है घंटो बैठ तू तन्हाई में 
देख सजाई है तेरे लिए ये महफ़िल बेशुमार 
             न खुद को महसूस कर अकेला साथ हैं हम ऐ मेरे हमदम 
जो भी हैं तुम्हारी मुश्किलें उसको कर देंगे ख़तम 
मुस्कुराना होगा तुझे हर हाल में
खुशियाँ हो या ग़म 
उन्हें भी अब देना होगा हिसाब जिसने ढाये हैं ये जुल्मों सितम 
     होगी अब तेरी हर एक मूराद पूरी 
खुश्क चेहरा होगा अब रोशन 
ऐ परी देख तेरे सुनहरे पर लाया मैं  अपने साथ 
    उड़ जा नील गगन में पंख फैलाए तू आज





गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

अकेला नही है तू


चारो तरफ बेकरारी का साया है,
जिधर देखो वो ही घबराया है.






ना जाने लोगो को कौन सी मनहूसी ने अपना मेहमा बनाया है,
   कत्ल हुआ है शायद किसी के अरमानो का
    कौन है वो शॅक्स जो आँसुओं का काफिला अपने साथ लाया है
     साथ बैठ उसके दर्द हम भी बाँट लेंगे,
     खुशी ना सही गम को साथ लेंगे




तू अकेला नही इस दुनिया मे जो इतनी ठोकरें खाया है,
ना गुज़ारी जाए जो जिंदगी ए ग़ालिब
उस कातिल वो बेमुरव्वत जिंदगी वो हमने आज़माया है.
बस यू समझ ले के किसी को किया था वादा मुस्कुराने का,
सिर्फ़ इसलिए मुस्कुराते हुए हर लम्हे को आशिया बनाया है.



गुरुवार, 12 जुलाई 2012

दूर जलता दिया



कही दूर जलता एक दिया है,
  रोशनी है उसकी मद्धम ,
 पर है उसमे कुछ आकर्षण,
जो बुला रही अपने आँगन,
                                                                                        
          रात है तूफ़ानी फिर भी
        बुझती नही इसकी लौ
शायद है उसको मेरा इंतजार
   इसलिए तो  डाले नही उसनेहथियार
कुछ कहना है शायद उसको
  इसलिए है वो बेकरार
    उसको है यकीन मेरे आने का
  इस उमीद मे उसकी लौ है बरक़रार
  कही दूर जलता एक दिया है,


रविवार, 26 फ़रवरी 2012

Meri Wafa

सितारो की महफ़िल सज़ा दे,
उनके हर एक कदम पे फूलों को बिछा दें,
उनकी मुस्कुराहट को अपना आईना बना ले,
ना याद कर पाएँगे कोई और चेहरा,
ना याद कर सकोगे कोई और चेहरा,
वफ़ा की ऐसी दास्तान बना दें,
के ढुंढोगे हर मुकाम पर,
दिल मे ऐसी चाहत जगा दें,
पर वो अपना हाले-दिल तो बता दें
हमारी चाहत का कुछ तो सिला दें.