मौसम में अजब सी मस्ती है,
बूँदो में अजब सी काशिस है,
समा हो चला सुहाना है,
सूरज की बेवफ़ाई वाजिब है,
हवा में अजब सी खुश्बू है,
बादल के रंगों मे फ़र्क है,
आलस भेज रहा निमंत्रण है,
नींद अपने आहोश में ले रही है,
मौसम भी बना हमसफ़र है,
ऊँची वादियाँ भी कर रही है स्वागत ,
पेड़ों की टहनियाँ झूम रही हैं मदमस्त ,
कलियों पे मंडरातें भ्रमर
कर रहे हैं उन्हें अश्वशस्त,
काम तो है बहुत लेकिन
वातावरण ने सुरू की है अपनी हरकत,
ऐसे में मन मचले
तो क्या करें पर ऐसी
नही है हमारी फिद्रत
बूँदो में अजब सी काशिस है,
समा हो चला सुहाना है,
सूरज की बेवफ़ाई वाजिब है,
हवा में अजब सी खुश्बू है,
बादल के रंगों मे फ़र्क है,
आलस भेज रहा निमंत्रण है,
नींद अपने आहोश में ले रही है,
मौसम भी बना हमसफ़र है,
ऊँची वादियाँ भी कर रही है स्वागत ,
पेड़ों की टहनियाँ झूम रही हैं मदमस्त ,
कलियों पे मंडरातें भ्रमर
कर रहे हैं उन्हें अश्वशस्त,
काम तो है बहुत लेकिन
वातावरण ने सुरू की है अपनी हरकत,
ऐसे में मन मचले
तो क्या करें पर ऐसी
नही है हमारी फिद्रत
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